Wednesday, July 29, 2009

आज आँख नम है....

आज आँख नम है ... किसी ने कुछ ऐसा लिख दिया ...उसने किस को पा कर हमेशा के लिए खो दिया ... आज वो अकेला है ... आगे का रास्ता, उसे आँख की नमी से धुंधलाता दिख रहा है ...वो मुझसे मंजिल मांग रहा है... सवाल उठा रहा है ...वो कहाँ चला गया ...क्यों चला गया ... और अब वो क्या करे ?...??...???
जो चला गया है ... वो आज भी तुम्हारे साथ है... तेरे वज़ूद में ही उसका वज़ूद है ... और सुन सको तो वो आज भी तुम्हें पुकार कर कह रहा है :

जिस्म का कोई वज़ूद
साँसों का कोई सिलसिला
शर्त कुछ भी .. कोई भी ज़िन्दगी की
कुछ भी ज़रूरी नहीं है मेरे के होने के लिए
तुम हो ... तुम हो ... तुम हो ... तुम तो हो ...
ये बहुत है ... बहुत है... बहुत है मेरे होने के लिए ...!!!


आज सिर्फ़ इतना ही कह पाऊँगा।
आपका नीलेश,
मुंबई।