Sunday, March 1, 2009

एक पाती बचपन के नाम

बचपन एक सबक था
याद नहीं कि किस चीज की करी थी ज़िद्द
पर वो नसीहत अभी भी याद है
कि लौटती में दिलवाएंगे
या फिर ये कि अच्छा नही है आगे और अच्छा ….
बड़ों ने झूठ कहा था या सच
कह नहीं सकता …पर वो झूठ भी नहीं था
नहीं तो हर ज़िद्द को खरीदने में बिक जाते बड़े
… 

नीलेश जैन
मुंबई
२-०३-२००९