Sunday, April 12, 2009

रहनुमा तेरे लिए

हर सड़क रास्ता नहीं होती
ये सबक सिखाया जिसने
आँख दी खुदा ने
पर सपना दिखाया जिसने ,
उठते हैं मेरे हाथ
आज उसकी दुआ के लिए ,
रहनुमा बनके हजारों का
वो एक और ज़िन्दगी जिये
हर मुकाम पर उसको
एक नयी मंजिल हासिल हो
वो बेपनाह काबिल है
अब और , और भी काबिल हो
और बीता हुआ हर लम्हा उसकी ज़िन्दगी का
उसकी ज़िन्दगी में फिर से शामिल हो !

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आप जिसे भी अपना रहनुमा मानते हैं ...
उनके जन्म-दिवस पर इसे एक विनम्र समर्पण मान लीजियेगा....
९-०४-२००९ पर
सादर नमन !
आपका
नीलेश