Wednesday, June 29, 2011

ज़्यादा ...ज़्यादा अच्छा नहीं

समंदर से मिलकर
वो
बस
कहने
को ज़्यादा हो गया ...
इससे तो अच्छा
कम था ...भला था
वो 'मीठा' दरिया'
जो अब
'खारा' हो गया...


आपका नीलेश
मुंबई