Tuesday, September 10, 2013

कुछ लोगों को मेरी ज़रुरत थी जो  हो सका…मैने उनके लिए किया… जिससे कि उन्हें सही रास्ता मिल सके सुकून  मिला और चैन भी
… 
बहुत दिनों बाद 
फिर से लगा 
किसी के उठते 
छप्पर में 
हाथ लगा आया 
मैं तीरथ कर आया !

दिल्ली में
बहती नहीं है गंगा
फिर भी 
गंगा नहा आया …
मैं तीरथ कर आया !!
मैं तीरथ कर आया !!! 

आप सबका
 नीलेश