Thursday, April 14, 2011

मुझे तो
वो आदमी भी
क़ातिल-सा दिखता है
पेड़ों को बचाने के लिए
जो किताबें लिखता है!


- आपका नीलेश जैन मुंबई


Wednesday, April 13, 2011

तन भी भीगा ... मन भी भीगा

तब
तन भी भीगा
मन भी भीगा
जब
मैंने गिरती बारिश से
पानी के धागे मांग लिए
और
अपनी आँख के कुछ आंसूं
उसके साथ में बाँध लिए ।

- नीलेश
मुंबई
मतलब तो परवान पर पाबंदी से है , पिंजरे नहीं हैं तो क्या ... पंख काट दीजिये
- नीलेश
मुंबई
पानी का एक कतरा भी
उसके लिए समंदर होता है,
जो रेत हो चुकी मिट्टी से
अपने बरतन धोता है
- नीलेश
मुंबई