yoursaarathi
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Monday, December 10, 2018
Lag gayi jo ek baar
ज़रा ख़्याल रखना
ज़रा ख़्याल रखना
सोचा न था जिसने
सोचा न था जिसने लिख पायेगा वो एक भी लफ़्ज़
लिखने बैठा तो उसमें कितने किताबख़ाने निकले
- नीलेश जैन
ये ज़मीं तो देख ली
लोग ढूँढ़ते है पानी
मत उजाड़ो परिंदों का आशियाना
Sunday, December 9, 2018
करके आख़िरी सफ़र
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