Friday, February 9, 2018

सच में दम हो तो ख़ुद टकसाल बनो

जिस  दिन  ज़माने  के  चलन  में  ढल  जाओगे
उस  दिन  खोटे  सिक्के  होकर  भी  चल जाओगे
पर  जो  बदलते  हैं दुनिया का चलन
फिर उनके जैसे  कहाँ  बन  पाओगे
जो  देता  है  एक  शक्ल  पिघले  सुर्ख  इस्पात  को
वक़्त  के  हिसाब  से  कभी हथियार तो कभी  औजार  को
जिसके  बनते  हैं  सांचे  वो  फौलाद  बनो
और  सच  में  दम  हो  तो  ख़ुद  टकसाल  बनो ।
नीलेश जैन
मुंबई

Friday, February 2, 2018


होती ख़ुद के हाथों में उसकी लगाम है 
उठता रहता जो तेरे अंदर का तूफ़ान है 

- नीलेश जैन