Tuesday, February 10, 2009
हर सड़क रास्ता नहीं होती
कहने को
ये बात मामूली है,
पर जिसे समझ आ गई;
तो समझो उसकी तलाश पूरी है.
अब जब उसने पा लिया है रास्ता तो
उसे मंजिल भी मिल ही जायेगी
क्योंकि जो सड़क मंजिल तक ले जायेगी;
वही तो 'रास्ता' कहलायेगी.
ये बात इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि कुछ लोग सोचते है कि वो जो कर रहे हैं... और जैसे कर रहे हैं, वही सही है; पर हमेशा ऐसा सोचना भी एक बहुत बड़ी भूल के पहले की एक भूल ही तो है. इसीलिए इस बात को याद रखने में ही समझदारी है। ये बात मुझ पर भी उतनी ही लागू होती है जितनी आप पर ...तो याद रखियेगा ...घर से लेकर बाहर तक ...इसमे एक गहरा सबक छिपा है ...जिंदगी को जीने का ।
आपका
नीलेश जैन
Tuesday, February 3, 2009
घर बुलाता है ..बहुत याद आता है
पहला गाना बच्चों को बहुत अच्छा लगा ...और अब एक और... विदेशों या बड़े शहरों में रहने वाले उन बच्चों के लिए, जिन्हें अपने मम्मी-पापा का साथ बहुत कम मिल पाता है, और वो अपने दादा-दादी और नाना-नानी के मीठे प्यार को अन्दर-ही-अन्दर बहुत मिस करते हैं :
कहाँ से लाये पप्पा ज़ानी
छुट्टी अब नहीं, यहाँ बितानी
न यहाँ दादी, न यहाँ नानी
बिन हाथ के लड्डू, मीठी बानी
हर बात तुम्हारी हमने मानी
समझा हम को पूरा बच्चा
घुमा -घूमा के देते गच्चा
एक था राजा एक थी रानी
रोज़-रोज़ बस वही कहानी
बच्चा सुन नहीं सकता है
न्यू -न्यू अच्छा लगता है
बात ये समझो बिटिया रानी
जानो हमरी ये परेशानी
कहाँ से लाये पप्पा ज़ानी
रोज़ -रोज़ एक नई कहानी
पप्पा कह नहीं सकता है
तुम बिन रह नहीं सकता है
हमने मन में अब ये ठानी
छुट्टी अब नहीं, यहाँ बितानी
न यहाँ दादी, न यहाँ नानी
बिन हाथ के लड्डू, मीठी बानी
बच्चा रह नहीं सकता है
न्यू -न्यू अच्छा लगता है
मेरी गुड़िया हुयी सयानी
हर बात तुम्हारी हमने मानी
रूठो न अब गुड़िया रानी
पप्पा सह नहीं सकता है
तुम बिन रह नहीं सकता है
आप सबका !
नीलेश जैन
मुंबई
04-02-2009
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