yoursaarathi
Help is the only motive!
Friday, August 27, 2010
बड़े हुए तो ...एक छोटी बात समझ में आयी
बड़े हुए
तो
ये बात
समझ में आयी,
'धागे'
उँगलियाँ
बुनती थीं;
न कि सलाई .
Thursday, August 26, 2010
घाटी की सुबह सूरज से नहीं रौशनी से होती है
हर किसी के नसीब में हो सूरज
ये ज़रूरी नहीं
मगर रौशनी तो होती है
हथियार से कब सुलझे हैं मसले
पिघलाकर उन्हें औजार बना लो
इल्म की हर किताब ये ही कहती है
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)