yoursaarathi
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Friday, September 2, 2011
नया मुकाम
'
तरक्की
'
तब
नहीं
जब
कोई
बुलंदियों
की
सीढ़ियाँ
चढ़े
तब
है
जब
मिटने
लगे
अन्दर
की
बेचैनी
और
सुकूं
बढ़े
।
आज ज़िन्दगी की राह पर एक नया मुकाम हासिल हुआ है।
आप सबका आशीर्वाद और प्यार यूँही बना रहे।
आप सबका
नीलेश
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