Wednesday, January 6, 2010

'अंतराल' ठहराव नहीं होता.....

लोग पूछ रहे हैं : इनते दिनों से कुछ नया क्यों नहीं?
अंतराल है... अधीर हों; क्योंकि अंतराल, ठहराव नहीं होता
बीज बो दिया हैं ...
अंकुर फूट चुकें हैं ...
फसल पक रही है ...
किसान जैसा धैर्य रखें ...
कुछ रच कर लाऊंगा ... जल्द आऊंगा ...

आपका नीलेश
मुंबई
०७-०१-२०१०