हम जो साकार करते हैं, अक्सर उसे ही अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मान बैठते हैं । इसी से हमारे अन्दर अहम् जन्म लेता है और हम उस अहम् के दायरे में सिमट कर रह जाते हैं।
देने वाले ने हमें असीम संभावनाएं दी हैं...
हम उन्हें खोजें और पाएं ...
और कभी न भूलें कि
हम सिर्फ घड़े बना सकते हैं; मिट्टी नहीं।