Thursday, March 3, 2011

बेबस है ये बिदाई

पीतल का है झुमका
कांसे का है कंगना
चांदी की परत है
सोने का पानी है
कहने को गहना है
बस रस्म निभानी है...


किसी सत्यानुभूति से उपजी एक अभिव्यक्ति
आपका
नीलेश, मुंबई