किसी और नहीं बस
ख़ुद के हाथों में है
ख़ुद के हाथों में है
ख़ुद का ताना-बाना
ये तो तुम पर है
तुम बीज बनो या दाना
बनकर दाना
पिसकर भूख मिटाना
या बन बीज
मिलकर माटी में
नयी फसल उगाना
ये तो तुम पर है
ये तो तुम पर है
तुम बीज बनो या दाना
पर मुझको तो आते-जाते
बस इतना है कहते जाना
'कल को चाहे कुछ भी होना
अपना बीज कभी न खोना ! '
आपका
नीलेश जैन
मुंबई