Tuesday, October 27, 2009

आज के लिए कुछ ख़ास !

बेचैनी की
अजब-सी लगी है आग
उसको बुझाइए ....

एक कतरा
सुकूं के समंदर से
लेके आइए...

जो है, जितना है
उतना
बहुत है
ये जज़्बा जगाइए...

खुशी कभी ख़ुद से बाहर नहीं
ये सोच कर ढूँढिये
और ख़ुद में पाइए ...

बाकी सब है दुनियावी
पर ये रूहानी बात है
इसमें दलील को
इतना लगाइए ...

ये परखा हुआ नुस्खा है
फकीरों का
आप भी जरा
इसको आजमाइए !


आपका नीलेश
मुंबई