Tuesday, November 3, 2009

नदी पानी से नहीं बहने से बनती है

होती रही गलती
कितनी बीती तारीखें
कितनी गुजरीं सदी
कहलाता रहा
ठहरा पानी तालाब
गिरता झरना
और बहता नदी
फिर भी हमने समझ लिया
पानी को नदी !
दरअसल
नदी पानी का नहीं बहने का नाम है
ऊंचाइयों से नीचे उतरते रहने का नाम है
बहते-बहते ... देते-देते गुजरने का नाम है
ये कुदरत का है एक सबक जो इंसानियत के नाम है


आपका नीलेश
मुंबई